भक्तिन- महादेवी वर्मा कक्षा 12 प्रश्न उत्तर Bhaktin Mahadevi verma Class 12 Question Answer
भक्तिन
कक्षा 12
आरोह
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1. भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?
उत्तर- भक्तिन का वास्तविक नाम लछमिन अर्थात लक्ष्मी था। उसे यह नाम माता-पिता ने दिया था। उन्होंने सोचा होगा कि उसके पास धन धान्य होगा और जिस घर में जायेगी, वहाँ सम्पन्नता रहेगी। परन्तु उसे जीवन में गरीबी ही झेलनी पड़ी। अपने नाम के अनुसार गुण या दशा ने होने से वह लोगों से अपना वास्तविक नाम छिपाती थी। लेखिका से नौकरी माँगते समय उसने अनुरोध किया कि उसे उसके वास्तविक नाम से नहीं पुकारा जावे । तब लेखिका ने उसकी कण्ठी- माला तथा वेश-भूषा को देखकर भक्तिन नाम दिया।
प्रश्न 2. दो कन्या-रतन पैदा करने पर भक्तिन पुत्र- महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अक्सर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत हैं?
उत्तर-पहली कन्या के बाद जब भक्तिन ने दो पुत्रियों को जन्म दिया, तो तब पत्र- प्रेम से अंधी अपनी जिठानियों द्वारा वह उपेक्षा और घृणा का शिकार बनी। भक्तिन की सास तीन पुत्रों की माँ थी, उसने भी भक्तन की उपेक्षा की। भक्तिन अपनी जिठानियों तथा सास की तरह प्त्र पैदा नहीं कर सकी। विचारणीय बात यह है कि भक्तिन को घृणा और उपेक्षा परिवार की नारियों से ही मिली, अपने पति से नहीं । तीन कन्याएँ पैदा करने पर भी पति ने उसके प्रति प्रेम में कमी नहीं आने दी। इस घटना से यह धारणा स्पष्ट हो जाती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है और वही एक-दूसरे की उपेक्षा करती हैं, आपस में ईर्ष्या-द्वेष रखती हैं।
प्रश्न 3. भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के सन्दर्भ में स्त्री के मानवाधिकार ( विवाह करें या न करें अथवा किससे करें ) इसकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परम्परा का प्रतीक है। कैसे ?
उत्तर-भक्तिन की विधवा बेटी के साथ उसके ताऊ के लडके के साले ने जबर्दस्ती की थी, उसे जबरन अपने साथ कोठरी में बन्द कर दिया था। तब गाँव की पंचायत में लडकी की अनिच्छा के बावजूद उसे उस तीतरबाज युवक के साथ बांध दिया गया और पति-पत्नी की तरह रहने का निर्णय सुनाया गया। इस घटना को स्त्री का सम्मान व अधिकार कुचलने वाली मानकर कहा जा सकता है कि स्त्रियों के साथ ऐसे व्यवहार सदियों से होते आ रहे हैं । नारी को अबला मानकर दबाया जाता है, उसकी इच्छा-अनिच्छा का ध्यान न रखकर किसी के भी साथ उसका विवाह कर दिया जाता है। इसी का दुष्परिणाम अपहरण और बलात्कार रूप में भी देखा जाता है। समय बदलता रहा, परन्तु स्त्री-जाति का ऐसा शोषण नहीं रुका, उनके अधिकारों का हनन होता रहा। आज भी गाँवों की पंचायतों में ऐसी गलत परम्पराएँ चल रही हैं। भक्तिन की बेटी के साथ घटित घटना इसी की प्रतीक है।
प्रश्न 4. 'भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं'- लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर-अनेक दुर्गुणों के बाद भी भक्तिन उन्हें प्रकट नहीं होने देती थी। लेखिका भी उसके दुर्गुणों की ओर उतना ध्यान नहीं देती थी। लेखिका यह मानती कि भक्तिन में दर्गण हैं। वह सत्यवादी हरिश्चन्द्र नहीं बन सकती। वह लेखिका के इधर-उधर पड़े पैसे -रुपये मटकी में छिपाकर रख लेती। लेखिका को प्रसन्न रखने के लिए वह बात को इधर-उधर घुमा लेती। इसे आप झूठ कह सकते हैं । इतना झूठ और चोरी तो धर्मराज महाराज ने भी की है । वह सभी बातों और कामों को अपनी सुविधानुसार ढाल लेती और स्वयं रंचमात्र भी न बदलकर शास्त्रीय बातों की व्याख्या अपने अनुसार ही करती। इसी कारण लेखिका ने भक्तिन को लक्ष्य कर ऐसा कहा होगा।
प्रश्न 5. भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?
उत्तर- भक्तिन शास्त्र के प्रश्न को अपने अनुसार सुलझा लेती थी। इस बात पर लेखिका ने उदाहरण दिया कि जब भक्तिन ने अपना सिर मुँडवाना चाहा, तो महादेवी ने उसे ऐसा करने से रोका, क्योंकि स्त्रिों का सिर घ्रुटाना अच्छा नहीं लगता। इस प्रश्न पर भक्तिन ने अपने कार्य को शास्त्र- सम्मत बताया और उत्तर देते हुए कहा कि "तीरथ गए मुँडाए सिद्ध ।" उसका यह वचन किसी शास्त्र का न होकर अपनी समझ से गढ़ा गया अथवा लोगों से सुना हुआ था, जिसे उसने शास्त्र का बता दिया।
प्रश्न 6.भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई?
उत्तर- भक्तिन देहाती थी। सेविका रूप में आ जाने से महादेवी का खाना-पहनना देहाती ढर्रे का हो गया । भक्तिन ने देहाती खाने की विशेषताएँ बता-बताकर उनके खाने की आदत बदल डाली। उसके कारण लेखिका को रात में मकई के दलिए के साथ मट्ठा पीना पड़ा । बाजरे के तिल मिलाकर बने पुए खाने पड़े और ज्वार के भुने हुए भुट्टे की खिचडी खानी पड़ी। उसकी बनाई हुई सफेद महुए की लापसी को संसार के श्रेष्ठ हलवे से अधिक स्वादिष्ट मानकर खाना पड़ा। भक्तिन ने लेखिका को देहाती भाषा और कहावतें भी सिखा दीं। इस तरह महादेवी भी देहाती बन गई ।
पाठ के आसपास-
प्रश्न 1. 'आलो आँधारि' की नायिका और लेखिका 'बेबी हालदार' और ' भक्तिन' के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?
उत्तर-'आलो आँधारि' की नायिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में यह समानता है कि दोनों को ही घर-परिवार छोड़ बाहर कार्य करना पड़ा। भक्तिन और बेबी हालदार दोनों को काफी कष्ट सहने पड़े तथा परिवार-जनों की उपेक्षा सहनी पड़ी व शोषण का शिकार बरनीं । दोनों मानवीय संवेदना से पूर्ण होने पर भी नारी के अधिकारों से वंचित थी। इन दोनों में यही समानता दिखाई देती है।
प्रश्न 2. भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। अखबारों या टी.वी. समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करे।
उत्तर - भक्तिन की बेटी के मामले में पंचायत ने जो फैसला सुनाया, वह कोई हैरतअंगेज बात नहीं हैं । आज भी ग्राम पंचायतों तथा जातीय पंचायतों में विवाह-सम्बन्धी अनेक ऐसे मामले आते हैं । इनमें रूढिवादियों और संकीर्ण विचारधारा वाले अशिक्षित ग्रामीणों का दुराग्रह भी रहता है। समाचार -पत्रों तथा दूरदर्शन के चैनलों पर ऐसे समाचार आते रहते हैं कि किसी युवक - युवती का विवाह- सम्बन्ध अवैध मानकर उन्हें भाई -बहिन की तरह रहने को अथवा वैध मानकर पति-पत्नी की तरह रहने को कहा जाता है। इस तरह आज भी विवाह के मामलों में जातिवादी पंचायतों का रवैया अमानवीय है।
प्रश्न 3. पाँच वर्ष की वय में ब्याही जाने वाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हजारों अभागिनियाँ हैं। बाल -विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस- पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें।
उत्तर-राजस्थान के ठेठ देहातों में, विशेषकर कुछ जातियों में लड़कियों एवं लडकों के विवाह छोर्टी अवस्था में किये जाते हैं। कुछ विवाह अनमेल भी होते हैं। इनका प्रभाव लड़के पर कम, परन्तु लड़की पर अधिक पड़ता है तथा उसे अपने जीवन में अनेक तरह के कष्ट भोगने पड़ते हैं। विद्यार्थी इस बात को लेकर परस्पर या मित्रों के साथ स्वयं परिचर्चा करें।
प्रश्न 4. महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता बसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संकवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढँढ़कर पढ़ें । जो 'मेरा परिवार' नाम से प्रकाशित है।
उत्तर-महादेवी वर्मा द्वारा लिखित'मेरा परिवार' शीर्षक संस्मरणात्मक रेखाचित्र को पुस्तकालय से लेकर पढ़ं और पशु-पक्षियों का परिचय प्राप्त करें।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1. "भक्तिन ने महादेवी वर्मा को अधिक देहाती बना दिया, किन्तु स्वयं शहर की हवा से दूर रही।" इस वाक्य की सत्यता सिद्ध कीजिए।
उत्तर - भक्तिन ने महादेवी वर्मा को देहाती भोजन खाना सिखा दिया था। उन्हें कुछ देहाती भाषा की कहावतें भी सिखा दी थीं। परन्तु वह स्वयं रसगुल्ला नहीं खाती थी, साफ धोती पहनना नहीं सीख पायी थी और पुकारने पर' आंय ' के स्थान पर 'जी' कहने का शिष्टाचार नहीं सीखी थी। इस तरह वह शहर की हवा से दूर ही रही।
प्रश्न 2. भक्तिन के चरित्र में क्या केवल स्वाभिमानी स्त्री का गुण ही था या कुछ और भी था?
उत्तर-भक्तिन में स्वाभिमानी स्त्री के गुण के अतिरिक्त भी अनेक गुण थे। वह मान-सम्मान का ध्यान रखने वाली, मेहनती, स्वावलम्बी एवं कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करने वाली स्त्री थी। पति की मृत्यु के बाद वह सम्पति के लोभी जेठ-जिठौतों का डटकर सामना करती रही। वह कर्तव्यपरायण, लगनशील एवं धामिक आस्था वाली स्त्री थी। वह सेवक- धर्म का दृढ़ता से पालन करती थी।
प्रश्न 3. भक्तिन अपनी विमाता और सास से क्यों नाराज थी? स्पष्ट बताइये।
उत्तर-भक्तिन की सास को उसके पिता की मौत का समाचार पहले ही मिल गया था, परन्तु उसने अपने घर में बहू का रोना-विलाप करना अपशकुन मानकर वह समाचार नहीं सुनाया। मायके की सीमा में पहुँचते ही जब उसे पिता की मौत का समाचार मिला तो तब विमाता के कठोर व्यवहार से वह ससुराल लौट आयी। इसी कारण वह विमाता और सास से नाराज थी।
प्रश्न 4. भक्तिन का बचपन और यौवन किस अवस्था में व्यतीत हुआ था? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-भक्तन को बचपन से ही गरीबी, उपेक्षा तथा विमाता के अत्याचारों को सहना पड़ा था। उसका विवाह अल्पायु में हो गया था । विवाह के बाद तीन कन्याओं को पैदा करने से उसे सास और जिठानियों की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। फिर भरी-जवानी में वह विधवा हो गई । तब उसके जेठों के स्वार्थी व्यवहार के कारण उसका जीवन कष्ट में व्यतीत हुआ।
प्रश्न 5. भक्तिन के स्वभाव के दो गुण थे-परिश्रम करना और कर्तव्य का पालन करना। 'भक्तिन' संस्मरण के आधार पर बताइए।
उत्तर-पति की असामयिक मृत्यु के बाद भक्तिन ने परिश्रम करके गृहस्थी चलायी और बेटियों का विवाह कराया। लेखिका की सेविका बनने पर वह प्रत्येक काम परिश्रम से करती थी और मालकिन को प्रसन्न रखना अपना कर्त्तव्य मानती थी। इसी कारण लेखिका के प्रत्येक काम में सहायता करती थी। अत: परि श्रम करना और कर्त्तव्य - पालन करना उसका स्वभाव बन गया था।
प्रश्न 6.'भक्तिन का दुर्भाग्य भी कम हठी नहीं था - महादेवी के इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-भक्तिन ने पति की असामयिक मृत्यु के बाद बड़े दामाद को घरजवाई बना लिया था। परन्तु कुछ समय बाद दामाद की मृत्यु हो गई । तब उसे उसके बड़े जिठौत के साले को पंचायत के गलत निर्णय के कारण दामाद मानना पड़ा। धीरे-धीरे सम्पत्ति जाती रही और समय पर लगान न चुका पाने से जर्मीदार द्वारा अपमानित होना पड़ा । इस प्रकार भक्तिन का दुर्भाग्य उसके साथ हठपूर्वक लगा रहा।
प्रश्न 7. "तब उसके जीवन के चौथे और सम्भवतः अन्तिम परिच्छेद का जो आथ हुआ, उसकी इति अभी दूर है।" महादेवी के इस कथन का आशय बताइये।
उत्तर- भक्तिन के जीवन का पहला परिच्छेद विवाह से पूर्व का, दूसरा विवाह होने का, तीसरा विधवा हो जाने के बाद का बताया गया है । महादेवी की सेविका बनने पर उसके जीवन का चौथा अध्याय प्रारम्भ हआ। महादेवी के कथन का आशय यह है कि यह उसके जीवन का अन्तिम परिच्छेद है, क्योंकि भक्तिन का शेष जीवन अब उनके ही साथ बीतेगा।
प्रश्न 8."तब मैंने समझ लिया कि इस सेवक का साथ टेढ़ी खीर है।' लेखिका ने ऐसा किस कारण और कब कहा? समझाइए।
उत्तर-महादेवी की सेवा में आने के दूसरे दिन तडके भक्तिन ने स्नान किया, धुली धोती को जल के छींटे से पवित्र कर पहना, फिर सूर्य और पीपल को जल चढ़ाकर नाक दबाकर दो मिनट जप किया और कोयले की मोटी रेखा खींचकर चौके में प्रतिष्ठित हो गई। उस समय भक्तिन की छुआछत मानने की प्रवृत्ति देखकर लेखिका ने समझ लिया कि उसरके साथ रहना काफी कठिन कार्य है।
प्रश्न 9. भक्तिन के आने से महादेवी के जीवन में क्या परिवर्तन आने लगा?
उत्तर-भक्तिन के आने से महादेवी के जीवन में यह परिवर्तन आने लगा कि वह साधारण देहाती जीवन जीने की सोचने लगी। वह भक्तिन के कारण होने वाली अपनी असविधा को छिपाने लगी। वह भक्तिन द्वारा पकाये गये देहाती भोजन खाने लगी और उससे अनेक दंतकथाएँ सनकर उन्हें कण्ठस्थ रखने लगीं। इस तरह महादेवी के जीवन में देहातीपन आने लगा।
प्रश्न 10. "मेरे भ्रमण की एकान्त साथिन भक्तिन ही रही है।" लेखिका के इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-लेखिका जब भी कहीं दूर की यात्रा पर जातीं, तो भक्तिन उनके साथ अवश्य जाती। बदरी-केदार की यात्रा में ऊँचे-नीचे और तंग पहाड़ी रास्ते में वह हठ करके लेखिका के आगे चलती। इसी प्रकार गाँव की धूलभरी पगडण्डी पर वह लेखिका के साथ छाया की तरह चलती रहती थी। इस तरह भक्तिन लेखिका के भ्रमण-काल में एकान्त की साथिन बनी रहती थी।
प्रश्न 11. कारागार से डर लगने पर भी भक्तिन ने वहाँ जाने का विचार कब और क्यों किया?
उत्तर-भक्तिन को कारागार से वैसे ही डर लगता था जैसे वह यमलोक हो। एक बार महादेवी के कारागार जाने की बात सुनकर भक्तिन ने भी वहाँ साथ जाने का निश्चय कर लिया। तब उसने लेखिका से पूछा कि वहाँ जाने के लिए क्या-क्या सामान बाँधना पड़ेंगा। इस तरह अपनी मालकिन का साथ निभाने की खातिर भक्तिन ने कारागार का भय त्यागकर वहाँ जाने का विचार किया।
प्रश्न 12. 'भक्तिन' संस्मरण के आधार पर उसके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-प्रस्तुत संस्मरण में भक्तिन के चरित्र की अनेक विशेषताएँ व्यक्त हुई हैं । भक्तिन स्वाभिमानी, मान-सम्मान का ध्यान रखने वाली, मेहनती एवं स्वावलम्बी थी। पति की मृत्यु के बाद वह सम्पत्ति के लोभी जेठ-जिठौतों का डटकर सामना करती रही। वह कर्त्तव्यपरायण, लगनशील, धार्मिक आस्था के साथ अन्धविश्वासी भी थी। वह सेवक-धर्म का दृढ़ता से पालन करती थी
प्रश्न 13. "भक्तिन की कहानी अधूरी है, पर उसे खोकर मैं इसे पूरा नहीं करना चाहती।" लेखिका ने ऐसा कब और क्यों कहा? समझाकर लिखिए।
उत्तर-भक्तिन हर दशा में अपनी मालकिन की सेवा करने के लिए उसके साथ रहना चाहती थी। वह लेखिका के साथ कारागार में जाने और अन्याय के खिलाफ बड़े लाट तक से लड़ने को उद्यत थी। एक प्रकार से वह अपने जीवनान्त तक लेखिका का साथ निभाना चाहती थी। उसके ऐसे आचरण एवं सेवा-भाव को देखकर लेखिका ने कहा कि उसकी कहानी का पूरा उल्लेख करना सम्भव नहीं है।
प्रश्न 14.'भक्तिन' संस्मरण के आधार पर ग्राम-पंचायत के निर्णय पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-ग्राम-पंचायत ने निर्णय दिया था कि तीतरंबाज युवक का भक्तिन की बेटी की कोठरी में प्रवेश करना कलियुग की समस्या है। चाहे दोनों में एक सच्चा हो अथवा दोनों झूठे हों, परन्तु एक कोठरी में साथ रहने से ये अब पति-पत्नी रूप में ही रहंगे। पंचायत का यह निर्णय पूरी तरह अन्यायपूर्ण, धार्मिक मान्यता के विरुद्ध और अमानवीय था। पंचायत का निर्णय एक प्रकार से नारी जाति का घोर अपमान एवं शोषण था।
प्रश्न 15. महादेवी भक्तिन को अपनी सेविका क्यों नहीं मानती थी?' भक्तिन' पाठ के आधार पर बताइ़ये।
उत्तर- भक्तिन और महादेवी के सम्बन्ध इतने आत्मीय हो गये थे कि वह भक्तिन को अपनी सेविका नहीं, संरक्षिका मानने लगी थीं। भक्तिन भी स्वयं को उनकी सेविका नहीं मानती थी । इसी कारण महादेवी द्वारा नौकरी छोड़कर जाने के आदेश को वह हँसकर टाल देती थी। वह वयोवृद्ध अभिभाविका की तरह महादेवी की देखभाल करती थी और पूरी आत्मीयता रखती थी।
प्रश्न 16. भारतीय समाज में लड़के-लड़कियों में किये जाने वाले भेदभाव का प्रस्तुत संस्मरण के आधार पर उल्लेख कीजिए।
उत्तर- भारतीय समाज में रूढ़ियों एवं अशिक्षा के कारण लोग लड़के-लडकियों को लेकर भेदभाव करते हैं। लड़के का पैदा होना वंश को बढ़ाने वाला माना जाता है और उसे खरा सिक्का या सोने का सिक्का माना जाता है । इसके विपरीत लड़की को ऐसे लोग खोटा सिक्का मानते हैं । इसी भेदभाव के कारण लड़कियों के खान-पान की उपेक्षा कर उनसे घर का काम कराया जाता है तथा उन्हें सदैव महत्त्वहीन समझा जाता है।
प्रश्न 17. 'भक्तिन' संस्मरण के आधार पर बताइए कि समाज में विधवा के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है?
उत्तर- 'भक्तिन' संस्मरण में बताया गया है कि हमारे समाज में विधवा के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है। यदि विधवा जवान और नि:सन्तान है, तो उसके साथ दुराचार की कोशिश की जाती है। विधवा की सम्पत्ति पर परिवार के तथा अन्य लोग अपना अधिकार जमाना चाहते हैं । गाँवों की पंचायतें भी विधवाओं व अन्य महिलाओं के सम्मान की रक्षा नहीं करती हैं और उन पर मनमाने निर्णय थोपती हैं।
प्रश्न 18. क्या ' भक्तिन' संस्मरण को रोचकता से युक्त कहा जा सकता है? यदि हाँ तो किस प्रकार? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-महादेवी के संस्मरणों - रेखाचित्रों में रोचकता का पूर्णतया समावेश रहता है । प्रस्तुत संस्मरण में भक्तिन की विधवा बेटी और तीतरबाज युवक के प्रसंग के साथ पंचायत के निर्णय को बड़ी रोचकता से समाविष्ट किया गया है । इसी प्रकार भक्तिन के आचरण, अन्थविश्वास, काम करने के तरीके आदि सभी का रोचक रूप में चित्रण किया गया है।
प्रश्न 19. 'भक्तिन' संस्मरण में निहित सन्देश पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-'भक्तिन' संस्मरण में यह सन्देश व्यक्त हुआ है कि भारतीय समाज में नारियों को बाल-विवाह जैसी कुप्रथा से बचाना चाहिए। समाज में लड़कियों को लड़कों के समान सम्मान मिलना चाहिए। अल्पायु में विधवा होने वाली निस्सन्तान युवतियों का पुनर्विवाह सभी की सम्मति से होना चाहिए। गाँवों की जातीय पंचायतों के गलत निर्णयों पर कानूनी रोक होनी चाहिए।
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1 महादेवी वर्मा द्वारा लिखित 'भक्तिन' पाठ के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-'भक्तिन' शीर्षक से स्पष्ट होता है कि किसी की भक्त। चाहे किसी व्यक्ति विशेष की या भगवान विशेष की हो। भक्तिन' नाम बताता है कि जरूर कोई वैरागन है जो सब कुछ छोड़-छाड़कर ईश्वर भजन में विरक्त है। ‘भक्तिन' पाठ की भक्तिन में गृहस्थ और संन्यासी दोनों का सम्मिश्रण है। भक्तिन का वास्तविक नाम लक्ष्मी था। बचपन में विवाह होने पर अनेक जिम्मेदारियों को वहन करती लक्ष्मी नाम के अनुरूप सुख-सम्पदा से कोसों दूर थी। वह जीवन पर्यन्त अपने साहस और संघर्ष के बल पर जीवन जीती है । इसीलिए वह अपना नाम लक्ष्मी नहीं कहलवाना चाहती। लेखिका ने उसकी वेशभूषा देखकर उसे भक्तिन नाम दिया था। उसमें स्वामि-भक्ति के गुण होने के कारण लेखिका भी उसे ज्यादा कुछ नहीं बोल पाती थी। वह लेखिका की हरसंभव सेवा करती तथा उन्हें खुश रखना अपना जीवन-धर्म समझती थी। भक्तिन के जीवन का संघर्षमय पक्ष का चित्रण करना लेखिका का उद्देश्य रहा है, जिसमें व सफल रही है इसलिए 'भक्तिन' शीर्षक भी उसके नाम व जीवन के अनुरूप सफल व सार्थक ही रहा है।
प्रश्न 2. 'ऐसे विषम प्रतिद्धन्द्वियों की स्थिति कल्पना में भी दुल्लभ है।' लेखिका ने ऐसा क्यों कहा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -लेखिका के पास रहने वाली ' भक्तिन' कारागार के नाम से ही बेहोश हो जाती थी। लेकिन जब उसे पता चला कि लेखिका को कारागार जाना पड़ सकता है तो उनके साथ जाने के लिए उसने अपने डर को पीछे छोड दिया। वह लेखिका से पूछती कि क्या सामान बाध ले जो जेल में काम आएगा। लेखिका कहती है कि उसे कौन समझाए कि इस यात्रा में अपनी सुविधानुसार न तो सामान ले जा सकते हैं और न ही कोई व्यक्ति । लेकिन भक्तिन के लिए यह सब बातें कोई अर्थ नहीं रखती हैं । उसके लिए इससे बड़ा अंधेर कुछ और न होगा कि जितना मालिक को बंद करने में अन्याय नहीं लेकिन नौकर को अकेले छोड़ देने में अन्याय है । जहाँ मालिक वहाँ नौकर अगर नहीं होता है ऐसा तो वह बड़े लाट से लड़ने तक को तैयार है। कोई माई आज तक लाट से लड़ी या नहीं, पर भक्तिन का काम लाट से लड़े बिना चल ही नहीं सकता है। लेखिका उसके इसी व्यवहार और बातों के लिए उसे प्रतिद्वन्द्वी कहती है फिर भी दोनों को साथ रहना है, जिसके लिए कल्पना करना भी बहुत मुश्किल है।
प्रश्न 3. लेखिका महादेवी वर्मा और भक्तिन के मध्य किस प्रकार का सम्बन्ध है? पाठ के अधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-पाठ 'भक्तिन' में कहने भर के लिए लेखिका और भक्तिन के मध्य सेवक- स्वामी का सम्बन्ध है । लेकिन जहाँ तक लेखिका स्वयं बताती है कि संसार में ऐसा कोई स्वामी नहीं देखा गया होगा जैसी कि वह स्वयं थी। जो इच्छा होने पर सेवक को पदमुक्त करना चाहती थी, अपनी सेवा से हटाना चाहती थी । पर हटा नहीं पाती थी। और ऐसा सेवक भी नहीं सुना गया जो कि जाने की कहने के बाद भी अपने स्वामी की आज्ञा का उल्लंघन कर हँसी बिखेरती रहती। लेखिका की आज्ञानुसार किसी भी कार्य को नहीं करने के पश्चात भी वह उनके चारों तरफ उनका कार्य करने को तत्पर रहती थी। लेखिका के कुछ कहने या न कहने का कोई असर उस पर नहीं होता किन्तु फिर भी अपने मतानुसार वह उनके कार्य करती रहती। उनका साथ छोडने के लिए वह किसी कीमत पर तैयार नहीं थी। दोनों स्वामी-सेवक विषम परिस्थितियों में भी प्रतिद्वंद्वी की भाँति साथ-साथ रहती थी।
रचनाकार का परिचय सम्बन्धी प्रश्न-
प्रश्न 1. महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-महादेवी वर्मा का जन्म फर्रुखाबाद (उ. प्र. ) में 1907 ई. में हुआ। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर के मिशन स्कूल में हुई थी। नौ वर्ष की उम्र में इनका विवाह हो गया पर इनका अध्ययन चलता रहा। 1929 में बोद्ध भिक्षुणी बनना चाहती थी परन्तु महात्मा गाँधी के सम्पर्क में आने के बाद समाज सेवा की ओर उन्मुख हो गई । इनका कार्यक्षेत्र बहुमुखी रहा। इनकी रचनाएँ- नीहार, रश्मि, नीरजा, यामा (काव्य संग्रह ); अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, मेरा परिवार (संस्मरण) ; श्रृंखला की कड़ियाँ, आपदा, भारतीय संस्कृति के स्वर (निबन्ध) आदि । पद्म विभूषण, ज्ञानपीठ पुरस्कार, भारत-भारती पुरस्कारों से सम्मानित लेखिका की मृत्यु 1987 ई. में हुईं। इनकी कविताओं में निजी वेदना व पीड़ा समाहित है। इनके गद्य में सामाजिक सरोकारों का चिंतन है।
समाप्त
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