लखनवी अंदाज कक्षा 10 प्रश्न उत्तर Lakhnawi Andaj Prashn Uttar
लखनवी अंदाज
कक्षा 10
बहुचयनात्मक प्रश्न-
1. लखनवी अंदाज' कहानी के लेखक कौन हैं?
(क) चंद्रधर शर्मा गुलेरी (ख) प्रेमचंद
(ग) भीष्म साहनी (घ) यशपाल
उत्तर:- (घ) यशपाल
2. यशपाल का जन्म कब हुआ था?
(क) सन् 1912 (ख) सन् 1903
(ग) सन 1904 (घ) सन 1908
उत्तर:- (ख) सन् 1903
3. यशपाल को जेल क्यों हुई?
(क) चोरी के कारण
(ख) मारपीट के कारण
(ग) क्रांतिकारी धारा से जुड़ने के कारण
(घ) नशे के कारण
उत्तर:- (ग) क्रांतिकारी धारा से जुड़ने के कारण
4. निम्न में से कौनसा कहानी संग्रह् यशपाल का नहीं है?
(क) ज्ञानदीप (ख) फूलों का कुर्ता
(ग) तर्क का तूफान (घ) चिता के फूल
उत्तर:- (घ) चिता के फूल
5. निम्न में से कौनसा उपन्यास यशपाल द्वारा रचित नहीं है?
(क) झूठा सच (ख) दिव्या
(ग) गोदान (घ) अमिता
उत्तर:- (ग) गोदान
6. 'तेरी मेरी उसकी बात' उपन्यास किस लेखक का है?
(क) शंकर शेष (ख) अमृतराय
(ग) यशपाल (घ) प्रेमचंद
उत्तर:- (ग) यशपाल
7. 'लखनवी अंदाज' कहानी किस पर कटाक्ष करती है?
(क) बनावटी जीवन शैली
(ख) लखनऊ की जीवन शैली
(ग) यथार्थ जीवन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:- (क) बनावटी जीवन शैली
৪. लेखक ने किस क्लास की टिकट खरीदकर रेल यात्रा की?
(क) फोर्थ क्लास
(ख) सेकण्ड क्लास
(ग) थर्ड क्लास
(घ) फर्स्ट क्लास
उत्तर:- (ख) सेकण्ड क्लास
9. 'खीरा लज़ीज होता है लेकिन मेदे पर बोझ डाल देता है।' नवाब की बात सुनकर लेखक को क्या लिखने का विचार आया?
(क) साठोतरी कविता
(ख) नयी कहानी
(ग) नयी कविता
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:- (ख) नयी कहानी
10. 'थककर लेट गये' वाक्य में कौनसी क्रिया है?
(क) सकर्मक क्रिया
(ख) अकर्मक क्रिया
(ग) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:- (ख) अकर्मक क्रिया
11. लेखक और नवाब साहब का एक-दूसरे के साथ कैसा व्यवहार था?
(क) अपनेपन का
(ख) बेगानेपन का
(ग) मिलनसार
(घ) प्रेमपूर्वक
उत्तर:- (ख) बेगानेपन का
12. लेखक ने खीरा खाने से मना क्यों कर दिया?
(क) क्योंकि नवाब औपचारिकता निभा रहे थे
(ख) क्योंकि खीरा कड़वा था
(ग) क्योंकि लेखक को खीरा पसंद नहीं था
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:- (क) क्योंकि नवाब औपचारिकता निभा रहे थे
13. यशपाल का जेल में परिचय किसके साथ हुआ?
(क) भगतसिंह, सुखदेव
(ख) सुभाषचंद्र बोस
(ग) जवाहरलाल नेहरू
(घ) लाला लाजपतराय
उत्तर:- (क) भगतसिंह, सुखदेव
14. लथेड़े' से क्या तात्पर्य है?
(क) कपड़ा
(ख) भोजन
(ग) लपेटना
(घ) लथड़ा
उत्तर:- (ग) लपेटना
15. 'चक्षु ' का पर्यायवाची है?
(क) आँख
(ख) नाक
(ग) कान
(घ) रात
उत्तर:- (क) आँख
16.सफेदपोश सज्जन ने तौलिए पर क्या रखा था?
(क) केला
(ख) खीरा
(ग) पपीता
(घ) खरबूजा
उत्तर:- (ख) खीरा
17. 'आँखें चुराना' मुहावरे का अथ है-
(क) नजर बचाना
(ख) आँखें खो जाना
(ग) आँखें छिप जाना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:- (क) नजर बचाना
18. लेखक के अनुसार नयी कहानी के लेखक किस प्रकार के हैं?
(क) यथार्थवादी
(ख) बिना विचार, भाव या घटना और पात्रों के कहानी लिखते हैं।
(ग) सहनशील
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:- (ख) बिना विचार, भाव या घटना और पात्रों के कहानी लिखते हैं।
19. 'लखनवी अंदाज' की विधा है-
(क) संस्मरण
(ख) नाटक
(ग) निबंध
(घ) व्यंग्यात्मक कहानी
उत्तर:- (घ) व्यंग्यात्मक कहानी
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1. लेखक यशपाल किस धारा से जुड़ाव के कारण जेल गए?
उत्तर-वे स्वाधीनता संग्राम की क्रांतिकारी धारा से जुड़ाव के कारण जेल गए।
प्रश्न 2. यशपाल का जेल में किससे परिचय हुआ?
उत्तर-जेल में उनका परिचय भगतसिंह और सुखदेव से हुआ।
प्रश्न 3. लेखक रेलगाड़ी के किस डब्बे में क्या सोच कर चढ़े?
उत्तर-लेखक नयी कहानी के कथानक तथा प्राकृतिक दृश्यों के अवलोकन हेतु खाली डब्बा समझ्ञ सेकण्ड क्लास में चढ़ गए।
प्रश्न 4. लेखक को नवाब का कौनसा बदला हुआ भाव अच्छा नहीं लगा?
उत्तर-लेखक को देखकर अनमने भाव से नवाब का खिड़की से बाहर देखना फिर भाव बदल खीरा खाने के
लिए पूछना अच्छा नहीं लगा।
प्रश्न 5. लेखक ने खीरा खाने के लिए मना क्यों किया?
उत्तर-लेखक ने देखा कि नवाब सिर्फ औपचारिकता निरभाने तथा कोरा शिष्टाचार हेतु खाने को पूछ रहा है इसलिए मना किया ।
प्रश्न 6. नवाब साहब ने आम आदमियों की तरह खीरा क्यों नहीं खाया?
उत्तर-क्योंकि वे लेखक को अपनी नवाबी शान, खानदानी तहजीब, लखंनवी नफासत और नजाकत दिखाना चाहते थे।
प्रश्न 7. कैसे कह सकते हैं कि नवाब साहब आम इंसान नहीं थे?
उत्तर-नवाब साहब ने आम इंसान की तरह खीरा नहीं खाया वरन् उसकी सुगन्ध और स्वाद से ही अपना पेट
भर, डकार भी ले ली थी।
प्रश्न 8. लेखक ने नयी कहानी का लेखक किसे कहा?
उत्तर-लेखक ने लखनवी नवाबों जैसे नजाकत और नफासत वालों को नयी कहानी का लेखक कहा।
प्रश्न 9. लेखक ने लखनवी नवाब के अंदाज की तुलना
किस प्रकार नयी कहानी से की?
उत्तर -लेखक ने नवाब को सिर्फ सुगन्ध व स्वाद से आये मुँह से भरे पानी से पेट भरने तथा डकार लेने की
प्रक्रिया की तुलना नयी कहानी से की।
प्रश्न 10. लेखक के अनुसार नयी कहानी के लेखक किस प्रकार के हैं ?
उत्तर-लेखक के अनुसार नयी कहानी के लेखक बिना विचार, भाव तथा घटना और पात्रों के कहानी लिखते हैं
सिर्फ लेखक बनने के लिए।
प्रश्न 11. लेखक ने नयी कहानी पर किस भावना को व्यक्त किया?
उत्तर-लेखक ने नयी कहानी के बिना विचार, भाव, पात्र, कथानक के ऊपर व्यंग्य भावना व्यक्त की।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1. नवाब साहब ने खीरे की फांकों को बिना खाये ही क्यों फेंक दिया? ( माध्य, शिक्षा बोर्ड, 2022)
उत्तर-नवाब साहब ने खीरे की फाकों को बिना खाय इसलए फेक दिया क्योंकि नवाब साहब पतनशील सामंती वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो जीवन की वास्तविकता से बेखबर एक बनावटी जीवनशैली के आदी है।
प्रश्न 2. यशपाल ने पतनशील सामन्ती वर्ग पर कटाक्ष किया है। ' इस कथन को लखनवी अंदाज' कहानी के आधार पर उदाहरण सहित समझाइयें।
उत्तर-'लखनवी अंदाज़' कहानी में यशपाल ने लंखनऊ के एक नवाब साहब की बनावटी जीवन शैली का कथानक उपस्थित कियां है । नवाब साहब ने खरों को छीलकर और नमक-मिर्चे लगाकर केवल सूंघा और कहा कि इसका स्वाद लाजवाब है। खीरे खाये नहीं फेंक दिये। इस तरह दिखावटी रईस बनने का आचरण होने से लेखक ने सामन्ती वर्ग पर कटाक्ष किया है।
प्रश्न 3. 'लखनवी अंदाज' पाठ के आधार पर नवाब साहब के व्यक्तित्व का परिचय दीजिए।
उत्तर प्रस्तुत व्यंग्यात्मवक कहानी के प्रमुख पात्र नवाब साहब के व्यक्तित्व्र में अनेक विशेषताएँ समायी हुई हैं। वे मिलनसारिता से रहित, सनकी स्वभाव वाले, अकड दिखाने वाले, झठी शान-शौकत का दिखावा करने वाले और नवाबी नफासत व नजाकत से पूरित व्यक्ति थे।
प्रश्न 4. नवाब साहब ने खीरे को खाने योग्य किस प्रकार बनाया?
उत्तर-नवाब साहब ने खीरों को पानी से धोकर, तौलिए से पाँछा, फिर चाकू से खीरों के सिर काटकर उन्हें गोद कर झाग निकाला, फिर बड़ी सावधानी से उन्हें छीलकर फाकों को करीने से तौलिये पर सजाकर उन पर जीरा, नमक मिला और मिर्च झिड़ककर खाने योग्य बनाया ।
प्रश्न 5. यशपालजी के व्यंग्य 'लखनवी अंदाज' के लिए आप अन्य क्या शीर्षक देना चाहेंगे? तक सहित उत्तर लिखिए।
उत्तर-यशपालजी के व्यंग्य 'लखनवी अंदाज़' के लिए अन्य शीर्षक के रूप में "खयाली भोजन' शीर्षक देना चाहेंगे, क्योंकि लखनवी नवाब खीरे के भोग के नाम पर केवल उसकी गंध और स्वाद लेना अपनी शान समझते हैं । इस खयाली अन्दाज से पेट नहीं भरा जा सकता है। इसे 'नवाबी सनक' शीर्षक भी दिया जा सकता है।
प्रश्न 6. लेखक ने क्या सोचकर सेकण्ड क्लास का टिकट लिया था?
अथवा
लेखक ने सेकेण्ड क्लास का रेल टिकट लेने का क्या कारण बताया है? लखनवी अंदाज अध्याय के आधार पर लिखिए। (माध्य, शिक्षा बोर्ड, माडल पेपर, 2021-22)
उत्तर -लेखक ने भीड़ से बचने के लिए, एकान्त में नयी कहानी के बारे में सोच सकने के लिए और खिड़की से
प्राकृतिक दृश्य देख सकने के विचार से ही सेकण्ड क्लास का टिकट लिया था।
प्रश्न 7. लेखक ने नवाब के चेहरे पर असंतोष का भाव देखकर क्या बात सोची?
उत्तर-लेखक ने नवाब के चेहरे पर असंतोष का भाव देखकर यह बात सोची कि हो सकता है कि यह भी नयी
कहानी की सूझ की चिंता में हो या खीरे जैसे अपदार्थ वस्तु या शौक करते देखे जाने पर संकोच में हो।
प्रश्न 8. डिब्बे में बैठे पूर्व यात्री और लेखक का मिलन कैसा रहा?
उत्तर-डिब्बे में बैठे पूर्व यात्री और लेखक का मिलन नहीं मिलने जैसा ही रहा। दोनों ने एक -दूसरे की उपस्थिति को देखकर बाधा समझा और आपसी संगति में उत्साह नहीं दिखाया । इसलिए पहली भेंट में ही एक –दूसरे से नजरें चुरा लीं।
प्रश्न 9. लेखक और नवाब साहब ने एक दूसरे के साथ कैसा व्यवहार किया?
उत्तर-लेखक और नवाब साहब ने एक-दूसरे के साथ बेगानेपन और अवांछितों जैसा व्यवहार किया। पहले नवाब ने मुँह फेरा। बाद में लेखक ने भी आत्मसम्मान की दृष्टि से अपना ध्यान हटा लिया।
प्रश्न 10. खिड़की से बाहर नवाब साहब को झाँकते देखकर लेखक ने क्या अनुमान लगाया?
उत्तर-लेखक ने अपनी कल्पनाशीलता के आधार पर अनुमान लगाया कि एकान्त और किफायत के विचार से नवाब साहब ने सेकण्ड क्लास का टिकट खरीद लिया हो । अब उन्हें गवारा नहीं हो रहा हो कि शहर का कोई सफेदपोश उन्हें इस तरह यात्रा करते देखे।
प्रश्न 11. लेखक को नवाब साहब का कौनसा भाव-परिवर्तन अच्छा नहीं लगा?
उत्तर-नवाब साहब ने लेखक से पहले तो बेगानेपन का व्यवहार किया, बाद में लेखक से बातचीत करते हुए
सहसा उससे खीरा खाने के लिए कहा। लेखक को उनका यह भाव- परिवर्तन अच्छा नहीं लगा।
प्रश्न 12. "आज का आदमी भावनाओं से जुड़ने की बजाय औपचारिकता निभाने में ही विश्वास करता है।" कथ्य को 'लखनवी अन्दाज' कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-'लखनवी अन्दाज़' कहानी में नवाब साहब ने कुछ सोचकर बातचीत प्रारम्भ करने की दृष्टि से लेखक से
कहा, 'आदाब-अर्ज, जनाब, खीरे का शौक फरमाएँंगे?' यह सुनकर लेखक ने कहा कि-'शूक्रिया किबला, शोक
फरमाएँ।' इस प्रकार दोनों के कथनों से औपचारिकता निर्वहन ही स्पष्ट होता है।
प्रश्न 13. "नवाब साहब खीरे की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गये।" कथन में निहित व्यंग्य की
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-इस कथन में लेखक ने नवाब साहब की खानदानी तहजीब और नजाकत पर व्यंग्य किया है। वे इतने
नाजुक थे कि खीरा छोलने, उन पर नमक-मिर्च बुरकने और सुंघ कर फेंकने में ही थक कर उन्हें लेट जाना पड़ा ।
प्रश्न 14. 'एब्ट्रैक्ट' शब्द के माध्यम से लेखक ने किन-किन पर व्यंग्य किया है?
उत्तर-'एब्स्ट्रैक्ट' शब्द को अर्थ है-अशरीरी या अमूर्त। इस शब्द के माध्यम से लेखक ने नवाबों की काल्पनिक
जीवन-शैली तथा नयी कहानी के लेखकों की अतिसूक्ष्म धारणाओं पर व्यंग्य किया है।
प्रश्न 15. 'ये हैं नयी कहानी के लेखक'कथन में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-लेखक ने व्यंग्य आधार पर स्पष्ट किया कि जब खीरे की गंध और स्वाद मात्र से ही पेट भर जाने की डकार आ सकती है तो बिना विचार, घटना और पात्रं के, लेखक की कोरी कल्पना मात्र अथवा इच्छा मात्र से 'लखनवी अदाज़ में नयी कहानी भी लिखी जा सकती है।
प्रश्न 16. 'लखनवी अन्दाज़' कहानी से हमें क्या सन्देश मिलता है?
उत्तर-'लखनवी अन्दाज ' कहानी से हमें सन्देश मिलता है कि हमें दिखावटी जीवन- शैली से हमेशा दूर रहकर
वास्तविकता का सामना करना चाहिए, क्योंकि जीवन में स्थल और सुक्षम दोनों का ही महत्त्व है। जो लोग सनक भरी आदतों से पेट भरने का दिखावा करते हैं, वे अवास्तविक हैं। चाहे नयी कहानी के लेखन की ही बात क्यों न हो।
प्रश्न 17. 'नयी कहानी ' और 'लखनवी अंदाज़' में आपको क्या समानता दिखाई देती है?
उत्तर- 'नयी कहानी' और 'लखनवी अंदाज़' दोनों सूक्ष्म काल्पनिक और अशरीरी हैं । दोनों ही वास्तविकता को महत्त्व न देिकर बनावटी जीवन-शैली को महत्त्व देते हैं । नवाब साहब झुठी नवाबी के कारण बिना खीरा खाये अपना पेट भरना चाहते हैं तो नये कहानीकार बिना घटना, पात्र और विचार के कहानी लिखना चाहते हैं । दोनों ही यथार्थ की उपेक्षा कर परजीवी संस्कृति की आराधना करते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1. नवाब साहिब ने अपने खानदानी रईस होने का भाव किस प्रकार प्रकट किया? 'लखनवी अंदाज'
(माध्य. शिक्षा बोर्ड, मोडल पेपर, 2021-22 )
उत्तर-नवाब साहिब सीट पर पालथी, मार कर आराम से बैठे। सामने तौलिये पर कच्चे-ताजे खबीरें रखे, खीरों को उठाया, लोटे के पानी से उनको धोया फिर उन्हें पोंछा। जेब से चाकू निकाला। पहले खीरों के दोनों सिरों को काटा और गोद कर खीरों का झाग बाहर निकाला। फिर खीरों को सावधानीपूर्वक छील कर और काट कर, करीने से सजाया। खीरों पर नमक-मिचे बुरक कर उन्हें सूंघ कर, उनका रसास्वादन करके एक -एक करके खिडकी से बाहर फेंकते गये । इस प्रकार नवाब ने खानदानी रईसी का भाव प्रकट किया।
प्रश्न 2. 'लखनवी अंदाज' कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर-लखनऊ रियासतों का गढ़ माना जाता रहा है। वहाँ के रईस अपनी शानो-शौकत को क़ाफी बढ़ा- चढ़ा कर दिखाते हैं। स्वतंत्रता के पश्चात् भी उनके अंदाज में कहीं कोई कमी नहीं आई । रियासतें खत्म हो गई लेकिन उनके नाज-नखरे अभी भी बरकरार है। इसी-विषय पर यशपाल जी ने उस सामंती वर्ग पर कटाक्ष किया है, जो वास्तविकता से बेखबर बनावटी जीवन जीते हैं । इस रचना के माध्यम से लेखक ने दिखावा पसंद लोगों की जीवन शैली पर व्यंग्य किया है। रेलगाडी के डिब्बे में लखनऊ का एक नवाब मिलता है। नवाब बड़ सलीके से खीरा खाने की तैयारी करता है किन्तु लेखक के सामने खाने में उसे संकोच होता है इसलिए अपने लखनंवी अंदाज में करीने से खीरे को काट कर उस पर नमक -मिर्च छिडक कर उसे होठों तक ले जाकर व नाक से सूँघ कर खिड़की से बाहर फेंक देता है तथा सुगन्ध व काल्पनिक स्वाद से ही पेट भरे होने की डकार लेता है। ऐसा वह इसलिए करता है कि साधारण-सी चीज खाते देख उसकी शान में फर्क न आ जाए, इस तरह वह दिखावा करता है। 'लखनवी अंदाज' शीर्षक बिल्कुल उपयुक्त और सटीक है।
प्रश्न 3. 'लखनवी अंदाज' कहानी में लेखक ने किस विषय पर व्यंग्य किया और क्यों?
अथवा
'लखनवी अंदाज' कहानी यशपाल की व्यंग्य रचना क्यों कही जाती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-यशपाल जी ने 'लखनवी अंदाज' व्यग्य यह साबित करने के लिए ही लिखा था कि बिना विचार कथानक, पात्र एवं भाव के कहानी नहीं लिखी जा सकती है, लेकिन 'नयी कहानी' के लेखक सिर्फ लेखक बनने के लिए बिना भाव-विचार, कथानक-पात्रों के कहानी लिखते हैं और जिसे '"नयी कहानी' के नाम से पुकारा जाता है । दूसरी तरफ यशपाल जी की एक स्वतंत्र रचना के रूप में भी इस कहानी को पढ़ा जा सकता है क्योंकि 'लखनवी अंदाज' दिखावा पसंद संस्कृति वाले लोगों पर भी व्यंग्य करती है। लेखक सामंती वर्ग के दिखावा पसंद प्रवृत्ति को उजागर करते हैं, जो वास्तविकता से बेखबर बनावटी जीवन जीने का आदी है। कहना न होगा कि आज भी इस तरह के लोग हम अपने आस-पास देख सकते हैं। जो अपनी झूठी शान बघारने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। जिस प्रकार नवाब साहब खीरा खाते नहीं हैं बल्कि लेखक को दिखा-दिखा कर उसे खिड़की के बाहर फेंकते हैं। इस तरह अपनी अमीरी का झूठा दिखावा करते हैं।
रचनाकार का परिचय सम्बन्धी प्रश्न-
प्रश्न 1. यशपाल का जीवन परिचय एवं कृतित्व संक्षेप में लिखिए। (माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2022)
उत्तर-यशपाल का जन्म सन् 1903 में पजाब के फिरोजपुर छावनी में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई लाहौर कॉलेज से की। वे क्रान्तिकारी धारा से जुड़ गये। उन्होंने कहानियां व उपन्यासों की रचनाएँ की। उनके कहानी संग्रह में "तर्क का तूफान' तथा उपन्यासों में 'झूठा सच' आदि प्रसिद्ध हैं। इनकी मृत्यु सन् 1976 में हुई।
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